हार्दिक आमंत्रण
'मुलाक़ात-2'
(हिंदी और राजस्थानी के वरिष्ठ कवि अम्बिका दत्त )
'हिंदी और राजस्थानी रचनाओं के पाठ सहित उनकी ताज़ा लिखी डायरी,बातचीत,रचना प्रक्रिया,आत्मवृत'
शाम साढ़े छह बजे से लगभग दो घंटे
स्थान:आरोहण,(बालाजी रेस्टोरेंट के ठीक पीछे,चामटी खेड़ा रोड़,चित्तौड़गढ़)
नमस्कार,
हम अव्वल तो माफी चाहते हैं कि बहुत कम समय के रहते यह आमंत्रण आपको भेज रहे हैं मगर हमारा मन है कि चित्तौड़गढ़ जैसे साहित्यिक-सांस्कृतिक रूचि संपन्न शहर को इधर आए हुए रचनाकारों का लाभ उठाना चाहिए। आपको निवेदन करते हुए प्रसन्नता है कि हमारे वरिष्ठ साथी और हिंदी-राजस्थानी के प्रतिबद्ध और समादृत रचनाकार अम्बिका दत्त जी इसी अठाईस अप्रैल की शाम हमारे लिए चित्तौड़गढ़ आ रहे हैं। चित्तौड़गढ़ के साहित्यिक रूचि सम्पन्न साथी उनके साथ शाम साढ़े छह से साढ़े आठ बजे तक संवाद कर सके ऐसी योजना बनायी है। 'मुलाक़ात-2' नामक इस प्रस्तुति में आपका 'आरोहण' पर हार्दिक स्वागत रहेगा। प्रवेश हमेशा की तरह नि:शुल्क ही है। साहित्य में अभी वह दौर नहीं आया कि आयोजन में प्रवेश सशुल्क हो सके। इस तरह की संगत में हमने अम्बिका दत्त जी से गुजारिश की है कि वे अपनी हिंदी और राजस्थानी की कविताओं के सस्वर पाठ के साथ हाल में लिखी डायरी के चुनिन्दा पृष्ठ भी साझा करें। इस मौके पर वे हमारे साथ संवाद करते हुए अपनी रचना प्रक्रिया और आत्मवृत के बारे में विचार रखेंगे। इस बीच बिना किसी औपचारिकता के हम श्रोता उनसे अपने प्रश्न पूछकर बात को आगे बढ़ा सकेंगे। एक और बात सेवानिवृति के बाद और उसके ठीक पहले के सालों में हमने अनुभव किया है कि उन्होंने कोटा के युवा रंगकर्मी राजेन्द्र पांचाल के निर्देशन में संचालित 'पेराफिन' थिएटर ग्रुप के साथ भी कई नाटक लिखने और रंगमंच पर उकेरने में सक्रीय हिस्सेदारी की है। थिएटर के साथ की इस यात्रा के मद्देनज़र भी उनसे बातचीत होने की गुंजाईश है। बाकी उपस्थित श्रोता जैसा चाहें अम्बिका दत्त जी से मुलाक़ात आगे बढ़ाएं।
आपको जानकारी के लिहाज से बताते चलें कि वरिष्ठ कवि अम्बिका दत्त बारां जिले के अन्ता कस्बे में जन्मे। हिन्दी और हाड़ौती(राजस्थानी) में भरपूर लेखन किया। देश की तमाम बड़ी साहित्यिक पत्रिकाओं के साथ प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित। उन्नीस सौ सत्तर से आकाशवाणी और बाद में दूरदर्शन से लगातार प्रसारित। कई कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं जैसे 'लोग जहां खड़े हैं', 'सोरम का चितराम', 'दमित आकांक्षाओं का गीत', 'आवों में बारहों मास', 'आंथ्योई नहीं दिन हाल' कुछ नाम हैं। राजस्थान साहित्य अकादमी का सर्वोच्य 'मीरा सम्मान' दो हजार बारह में 'आवों में बारहों मास' के लिए उन्हें मिल चुका है। इन सभी के अतिरिक्त राजस्थानी कविता संग्रह पर साहित्य अकादमी दिल्ली का अकादमी सम्मान भी मिल चुका है। कुछ कविताओं का अंगरेजी,गुजराती और पंजाबी में भी अनुवाद प्रकाशित हैं। राजस्थानी में रचे गए पद 'नुगरे के पद' से भी वे काफी प्रसिद्द हुए हैं। उनके मूंह से हाड़ौती सुनना बहुत आनंददायक अनुभव साबित होता है। सालों तक वे राजस्थान प्रशासनिक सेवा में सेवारत रहे हैं। बाकी आप मिलेंगे तो अपने आप ही जानेंगे। एकदम मस्त इंसान हैं। औपचारिकता को अलग रख दें तो आप पाएंगे कि गंभीर से गंभीर बात को बहुत सहज से ढंग से कह देने और सहजता के साथ गंभीर मुद्दों को साझा करने की एक ताकत उनमें हमने कई बार महसूसी है।
आप आएँगे तो हमारे शहर की साहित्यिक गतिविधियों का मान बढ़ेगा और आपको भी आयोजन की कुछ सार्थकता का आभास होगा ऐसा हमारा विश्वास है। रूचि और समय हो तो ज़रूर आइएगा। हम आपका इस संवाद प्रधान साहित्यिक संगत में इंतज़ार करेंगे। यह कोई औपचारिक आयोजन नहीं है। इस चर्चा में सबकुछ अनौपचारिक रखा गया है। न औपचारिक आमंत्रण कार्ड, न प्रेस नोट, न माला, न दीप प्रज्ज्वलन, न चीफ गेस्ट, न अध्यक्षता। एक और बात आपके आने से हमें आगे आने वाले समय में इसी तरह के आयोजन गढ़ने का प्रोत्साहन मिलता है। बाकी आनंद।यदि आपको लगता है कि यह आमंत्रण सूचना किसी और के लिए उपयोगी साबित हो सकती है तो इसे हिचक शेयर कीजिएगा।
सादर निवेदक
(राजेश चौधरी, मोहम्मद इकराम अजमेरी, शाहबाज पठान, आसिफ़, माणिक, गौरव, दीपक पंचोली, संजय कोदली, सांवर मल, भगवती लाल सालवी, जुनैद शैख़, सीताराम अहीर, लालुराम सालवी सहित 'आरोहण' के समस्त साथी )
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