प्रवेश सभी के लिए खुला है
डॉ.भीमराव अम्बेडकर जयंती केन्द्रित पैनल चर्चा
डॉ.भीमराव अम्बेडकर जयंती केन्द्रित पैनल चर्चा
'संवाद जारी रहे'
विषय:भारतीय जाति व्यवस्था और अम्बेडकर
14 अप्रैल,शाम ठीक छह बजे,विजन स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट,बोजुन्दा रोड़,चित्तौड़गढ़
नमस्कार,
आज चौदह अप्रैल है और आप भी जानते हैं आज का दिन अम्बेडकरमय होने का दिन है।देशभर सहित कई अन्य देशों में लाखों साथी आज उन्हें अलग-अलग विधाओं के आयोजन करके याद कर रहे हैं। चित्तौड़गढ़ फ़िल्म सोसायटी असल में चित्तौड़गढ़ का एक बहुत छोटा और गैर संस्थानिक समूह है जो बीते तीन सालों से फ़िल्म स्क्रीनिंग के मार्फ़त अपने छोटे छोटे समूह में वैचारिक आयोजन करता रहा है। इस अपील का उद्देश्य आपसी संवाद के लिहाज से डॉ.भीमराव अम्बेडकर केन्द्रित एक पैनल चर्चा की योजना है।आज शाम ठीक छह बजे होने वाले कार्यक्रम का टाइटल बहुत सोच समझकर रखा है 'संवाद जारी रहे' क्योंकि असल में हमने महसूस किया है कि बीते दो तीन दशकों में विभिन्न जाति, वर्गों और धर्मों के बीच आपसदारी कम ही हुई है। संवाद की गुंजाईश लगातार कम हुई है। खैर, इस दो घंटे के पैनल सत्र में हमने विषय रखा है :'भारतीय जाति व्यवस्था और अम्बेडकर' । स्थान चित्तौड़गढ़ में ही बोजुन्दा रोड़ पर बने विजन स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट को तय किया है।
चर्चा में हमने आपसी सहमती से कुछ लोगों को निवेदन किया कि वे आएं और किताबी आंकड़ों के बजाय अपने जीवन अनुभव से कुछ ऐसा बोले कि विभिन्न सामाजिक वर्गों के बीच की दीवारें अपनी ऊंचाई घटाने पर मजबूर हो। डॉ.अम्बेडकर के सपनों के भारत को पूरा आकार लेने में अभी बहुत वक़्त बाकी है। इधर हम आज़ादी के बाद अब तक की यात्रा में कहाँ पहूंचे हैं? इसका आंकलन भी ज़रूरी है। एक मन कहता है कि हालात संतोषजनक भी हुए हैं मगर देश में अभी भी कई दृश्य दिल दहलाते ही हैं। आयोजन के पैनलिस्ट में चार साथी होंगे। पहले वक्ता के तौर पर बीते चालीस साल से ग्रामीण भारत के साथ सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका में रहे साथी खेमराज जी हैं। दूसरे पैनलिस्ट भीलवाड़ा में अनुसूचित जाति-जनजाति पर रिसर्च प्रोजेक्ट करने वाले समाजशास्त्र अध्येता और कॉलेज प्रोफ़ेसर डॉ. दीपक हैं। तीसरे शिक्षा के क्षेत्र में बीते आठ सालों से सेवारत और निरंतर चिन्तनशील युवा एवं स्पिक मैके वोलंटियर विनय हैं। पैनल का एक हिस्सा दलित अधिकारों के लिए लड़ने वाले सोसियल एक्टिविस्ट और अधिवक्ता हैं प्रकाश। पहले से निर्धारित और पोस्टर में शामिल पैनलिस्ट प्रशासनिक अधिकारी ज्योति कुछ अपरिहार्य कारणों से नहीं आ पा रही हैं।उनके कमिटमेंट को लेकर कोई संशय नहीं है। हम उनकी व्यस्तता का सम्मान करते हैं ।
इस चर्चा का संचालन हमारी फ़िल्म सोसायटी के ही साथी और लगातार अध्यतन पढ़ने एवं अपनों के बीच समसामयिक मुद्दों पर डिस्कस करने वाले डॉ.राजेश चौधरी करेंगे। सभी पैनलिस्ट पंद्रह-पंद्रह मिनट अपनी बात रखेंगे और अंत में उपस्थित श्रोताओं और पैनलिस्ट के बीच प्रश्नोत्तर संवाद स्थापित करने का मन है। देखो कितना सफल हो पाते हैं। इस चर्चा में सबकुछ अनौपचारिक रखा गया है। न औपचारिक आमंत्रण कार्ड, न प्रेस नोट, न माला, न दीप प्रज्ज्वलन, न चीफ गेस्ट, न अध्यक्षता। हाँ, आयोजन के दौरान हम सिर्फ एक चाय ज़रूर पिएंगे। चाय हमें आपसी संवाद का मौक़ा सुझाती है। चाय की बैठक में आत्मीयता बढ़ने की गुंजाईश ज्यादा नज़र आती है।सबकुछ आपसी सहयोग से हो रहा है।किसी तरह का बड़ा चन्दा लेने में हमारा विश्वास नहीं है। हमारा विश्वास संख्या बल के बजाय कम लोगों के बीच मगर वैचारिक संवाद में ज्यादा है। यह आमंत्रण बहुत सिमित लोगों को ही भेजा गया है। अगर आपके लिए यह समय सुविधाजनक हो और आयोजन में कुछ सार्थकता नज़र आती है तो ज़रूर आइएगा।बाकी आनंद।
अपील
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