आज़मगढ़ के नेहरू हाॅल में प्रतिरोध का सिनेमा:चौथा आज़मगढ़ फ़िल्म फेस्टिवल का तीन दिनी आयोजन आज शुरू हुआ।अंधे युग की वापसी के खिलाफ अभिव्यक्ति की आजादी और लोकतंत्र की थीम के साथ शुरू इस फिल्म फेस्टिवल का उद्घाटन करते हुए पत्रकार-लेखक व विचारक सुभाष गाताडे ने कहा कि प्रतिरोध का सिनेमा का यह पचासवां आयोजन बहुत सही समय पर हो रहा है।यह आयोजन ऐसे ऐतिहासिक मोड़ पर हो रहा है जब समाज को पीछे ले जाने वाली ताकतें हर तरह से हमलावर हैं।भारत को सउदी अरब और पाकिस्तान जैसा बनाने का काम हिन्दुत्ववादी ताकतें कर रही हैं।वहां ईशनिन्दा के नाम पर हत्याएं होती हैं,यहां गाय के नाम पर हत्याएं हो रही हैं।उन्होंने कहा कि हिन्दुत्व का चिन्तन मानवद्रोह का चिन्तन है।वह दलित और महिला-विरोधी मनुवाद का चिन्तन है।सुभाष गाताडे ने तमाम तथ्य देते हुए कहा कि ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि जो इसका विरोध करेगा, वह मारा जायेगा।आज तेजी से धर्म और राजनीति को मिलाया जा रहा है।पूरी कोशिश की जा रही है कि यह देश मूर्खों का देश बन जाये।स्वतंत्र चिन्तन को नष्ट कर दिया जाये।देश को पीछे ले जाने की हर तरह से कोशिश हो रही हैं,जिसका पुरजोर विरोध होना चाहिए।
समकालीन जनमत के सम्पादक मण्डल के सदस्य के के पाण्डेय ने कहा कि नयी बात इस दौर में हुई है जो पहली बार है भारत में और जिसे हम अंधेयुग की वापसी कह रहे हैं वह यह कि पूंजी का धार्मिक संस्थानों के साथ, कठमुल्लापन के साथ सहयोग का प्रस्फुटन हो रहा है।कलबुर्गी जो कोई कम्युनिस्ट नहीं थे, बल्कि भारत की ही सांस्कृतिक सम्पदा के सबसे प्रखर चिन्तकों में थे, उनकी हत्या हुई सरकार का मुखिया उसपर चुप है और उसके मंत्री उस हत्या को जायज ठहरा रहे हैं।निर्दोष को बचाना और हत्यारों को सजा देना यह किसी भी लोकतांत्रिक देश का सबसे सबसे प्राथमिक काम है।इतनी न्यूनतम लोकतांत्रिक गारंटी तो होनी ही चाहिए।के के पाण्डेय ने कहा कि आज सरकार में बैठा मंत्री अरुण जेतली साहित्यकारों,लेखकों के साथ न्यायपालिका को भी कह रहे हैं कि ये जनता से चुने हुए लोग नहीं हैं और देश की छवि बिगाड़ रहे है जबकि खुद अरुण जेतली लोकसभा का चुनाव हारे हैं,तो कम से कम यह बात वे कैसे कहते हैं।और अगर जनता ने आपको चुना भी है तो वह जनता आपसे सवाल पूछने का हक भी खो बैठी है।चुनी हुई सरकार के कुकृत्यों पर सवाल उठाना अगर असहिष्णुता है तो ऐसी असहिष्णुता हम हजार बार करेंगे।के के पाण्डेय ने कहा कि दूसरा झूठ जो सरकार में बैठे लोग फैला रहे कि पुरस्कार आपातकाल में क्यों नहीं लौटाया,84 में क्यों नहीं लौटाया!इन्हें बताया जाना चाहिए कि रेणु ने आपातकाल के विरोध में पुरस्कार लौटाया।नागार्जुन वगैरह आपातकाल के खिलाफ जेल तक गये।84 में कृष्णा सोबती ने पुरस्कार लेने से मना कर दिया।शिवमूर्ति ने बिहार में दलितों की हत्या के खिलाफ बिहार सरकार से पुरस्कार लेने से मना कर दिया।
के के पाण्डेय ने कहा कि विदेशों में जाकर गांधी का नाम लेने वाले देश के भीतर गान्धी के विचारों की हत्या कर रहे हैं।गान्धी के हत्यारे तो वे थे ही।फिल्मोत्सव की स्मारिका समिति के अध्यक्ष और इतिहास के अध्यापक डाॅ.बद्रीनाथ ने कहा कि दमन की तीव्रता जितनी अधिक होती है प्रतिरोध की चेतना भी उसी तीव्रता से बढ़ती है।प्रतिरोध का सिनेमा के राष्ट्रीय संयोजक संजय जोशी ने कहा कि इसी दौर में प्रोग्रेसिव लोगों की ताकत भी बढ़ी है और एकजुट हुई है।जरूरत इसे और विस्तार देने की है तथा हमें अपने भरोसे को और मजबूत करना होगा।जब मुजफ्फरनगर बाकी है फिल्म का प्रदर्शन एबीवीपी ने रोका तो हम लोगों ने तय किया कि तुम एक जगह रोकोगे,हम हजार जगह दिखाएंगे।
उद्घाटन की शुरुआत में फिल्म फेस्टिवल की स्मारिका का विमोचन किया गया।इसके बाद वीरेन डंगवाल के पहले कविता संग्रह 'इसी दुनियां से'के नवीकृत संस्करण का विमोचन कवि,चित्रकार अजय कुमार ने किया।अजय कुमार ने कार्यक्रम की अध्यक्षता भी की।संचालन इस फिल्म फेस्टिवल के संयोजक डाॅ.विनय सिंह यादव ने किया।इसके बाद प्रतिरोध का संगीत के अंतर्गत तीन म्युजिक वीडियो 'ये हिटलर के साथी','सुरसुरी चाय' और 'सम्पविला देह जरी ' दिखाए गए ।
वीरेन डंगवाल पर बनी दस्तावेजी फिल्म 'मैंने चुना अलग रास्ता' के चुने अंश को भी प्रदर्शित किया गया।इसके निर्देशक संजय जोशी दर्शकों से मुखातिब हुए।पहले दिन का समापन भोजपुरी फ़ीचर फ़िल्म 'नया पता' से हुआ।फिल्म फेस्टिवल का खास आकर्षण सांस और नवारुण द्वारा लगायी गयी पुस्तक व फिल्म प्रदर्शिनी रही।यह प्रदर्शनी अगले दो दिन तक रहेगी।फिल्म फेस्टिवल की साज-सज्जा की डिज़ायन अंकुर ने की है।फेस्टिवल की स्मारिका को अशोक सिद्धार्थ ने डिज़ाइन किया।चित्रकार अनुपम की डिजाइन की हुई प्रस्तुति- प्रतिरोध का सिनेमा भी आयोजन स्थल पर आकर्षण का केन्द्र रही।
आयोजन स्थल पर समकालीन जनमत और प्रतिरोध का सिनेमा द्वारा आयोजित पुस्तक और फिल्म की डी वी डी प्रदर्शनी भी लगाई गयी जिससे दर्शकों ने जमकर खरीददारी की . प्रदर्शनी का संचालन मीना राय, मोहम्मद आदिल और भूपेन्द्र ने किया.
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