प्रेस विज्ञप्ति
अपने समय और समाज की सोच को आगे बढ़ा रही है फिल्म 'गर्म हवा'
चित्तौड़गढ़ 20 सितम्बर 2015
देश के विभाजन और विस्थापन के दर्द
को कई साहित्यकारों और फिल्मकारों ने अपनी-अपनी तरह से दिखाया है किन्तु फिल्म
गर्म हवा एक व्यावसायिक मुस्लिम परिवार के द्वारा लगभग मौन तरीके से त्रासदी को इस कदर बया
करती है कि वह हमारे समाज झकझोरती है। विस्थापन और विभाजन की राजनीति के परिणामों को हमें धार्मिक दृष्टि से देखने के बजाय उसके कारण होने वाले मानवीय दंश को समझना चाहिए। फ़िल्म के ज़रिये डेढ़ सौ विद्यार्थियों ने यह भी जाना कि यह विभाजन केवल दो देशों के बीच नहीं होकर बल्कि हमारी साझी विरासत और मानवता का भी विभाजन था। स्क्रीनिंग और उसके बाद की चर्चा में युवाओं की सक्रीय भागीदारी ने एक आस बंधाई है कि आज भी सामाजिक सरोकारों से जुड़े हुए समानान्तर सिनेमा को लेकर अवसर गढ़ने की बहुत ज़रूरत है।
प्रतिरोध के सिनेमा के तहत संचालित चित्तौड़गढ़ फिल्म सोसाइटी के तत्वावधान में शनिवार की दोपहर विजन स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट में फ़िल्म गर्म हवा की स्क्रीनिंग हुई। स्क्रीनिंग की शुरुआत में महेंद्र नंदकिशोर द्वारा प्रो.एम.एम.कालबुर्गी पर बनाया प्रजेंटेशन दिखाया गया। फ़िल्म की भूमिका पर युवा समीक्षक जितेन्द्र यादव ने चर्चा करते हुए कहा कि पर्याप्त पढ़ाई-लिखाई की संस्कृति के विकसित हो जाने के बाद भी ऐसा क्या है कि हम आज भी धर्म, जाति और क्षेत्रीयता की संकीर्णता की ओर बढ़ रहे हैं।ऐसे समय में गर्म हवा जैसी फ़िल्म एक नयी सोच और दिशा देती है। स्क्रीनिंग के बाद कामरेड आनंद छीपा, छात्रा विजिता जैन सहित कई विद्यार्थियों ने खुलकर अपनी विचारोत्तेजक टिप्पणियाँ दी। संवाद सत्र का संयोजन सिनेमा के जानकार लक्ष्मण व्यास ने किया। आखिर में कॉलेज निदेशक डॉ. साधना मंडलोई ने आभार व्यक्त किया।स्क्रीनिंग के सूत्रधार फ़िल्म सोसायटी के साथी माणिक और शाहबाज पठान थे।
महेंद्र नंदकिशोर,चित्तौड़गढ़ फ़िल्म सोसायटी समूह साथी
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