Friday, 24 October 2014

कॉरपोरेट, सांप्रदायिक व फासीवाद के विरूद्ध सांस्कृतिक प्रतिरोध 
पर केन्द्रित रहा जसम उत्तर प्रदेश सम्मेलन 

-विमला किशोर

किसी भी मुल्क में फासीवाद अचानक नहीं आता। उसकी उस देश में जड़े होती हैं। हमारे देश और समाज में भी फासीवाद की जड़े हैं। साम्प्रदायिक फासीवादी ताकतें इन्हीं जड़ों से ताकत पा रही हैं। हमारे समाज के अंदर हिंसा को वैधता मिली हुई है। देश में बड़े-बड़े जनसंहारों को जज्ब कर लिया गया और आज उन पर कोई बात नहीं होती। जो लोग 9/11 को याद करने की बात करते हैं वे भागलपुर, गुजरात जनंसहार पर चुप लगा जाते हैं। सही मायनों में देश की जनता का आधुनिकीकरण नही हुआ है। हमें सांस्कृतिक मोर्चे पर मजबूती से काम करते हुए समाज के आधुनिकीकरण की जिम्मेेदारी उठानी होगी। हमें कार्पोरेट-साम्प्रदायिक-फासीवादी ताकतों का मुकाबला करने के लिए नए मोर्चों का निर्माण करना होगा। हमें कुर्बानियों का नया इतिहास रचने के लिए तैयार होना होगा।

यह विचार प्रखर चिन्तक व वामपंथी लेखक सुभाष गाताडे ने लखनऊ में गत 11 व 12 अक्टूबर 2014 को आयोजित जन संस्कृति मंच, उत्तर प्रदेश के छठें राज्य सम्मेलन और छठें लखनऊ फिल्म फेस्टिवल का उद्घाटन करते हुए व्यक्त किये। ‘कारपोरेट साम्प्रदायिक फासीवाद का आज का दौर और सांस्कृतिक प्रतिरोध’ पर केन्द्रित इस सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में श्री गाताडे ने कहा कि जिस शख्स को हम लगातार जनता के अदालत में खड़ा करते रहे, वह आज ’हमारे युग का नायक‘ बन बैठा है। यह हालात क्यों बने, हमारे संघर्ष में क्या कमी रही, उसकी पड़ताल करना बेहद जरूरी है। उन्होंने साम्प्रदायिकता, फासीवाद की सही समझदारी बनाने पर जोर देते हुए कहा कि आज देश में ही नहीं पूरे दक्षिण एशिया में बहुसंख्यकवाद का उभार दिख रहा है। म्यांमार, बंग्लादेश, श्रीलंका, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का दमन हो रहा है। उनके अधिकार छीने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्ष सरकारों के राज वाले राज्यों में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की बात हुई लेकिन उनके विकास के लिए कोई काम नहीं हुआ। इन राज्यों में अल्पसंख्यकों की हालत बेहद खराब है। 

उन्होंने ज्योतिबा फूले, डा. अम्बेडकर के आंदोलन की चर्चा करते हुए कहा कि इन आंदोलनों ने जनता की नई चेतना बनाने का काम किया। इससे हमें सीख लेते हुए सांस्कृतिक स्तर पर वृहद आंदोलन चला कर जनता को आधुनिक चेतना से लैस करना होगा। इसके लिए जरूरी है कि हम यांत्रिक तरीके से काम करना छोड़ें और अपने विचारों में नया अर्थ डालने की कोशिश करें। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहे जन संस्कृति मंच के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो राजेन्द्र कुमार ने कहा कि आज हम निराश हैं लेकिन आशाहीन नहीं। आज की निराशा हमंे नए सिरे से सक्रिय करेगी। उन्होंने संस्कृतिकर्मियों, बुद्धिजीवियों को नई ताकत के साथ एकजुट होने का आह्वान करते हुए कहा कि जनता की आंखों व कानों को बंद करने का जो मायाजाल रचा जा रहा है, उसे तोडने के लिए हमें हर स्तर पर मजबूती से काम करने की जरूरत है। 

उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए प्रगतिशील लेखक संघ के शकील सिद्दीकी ने कहा कि आज नफरत, घृणा के पक्ष में समाजिक स्वीकृति का बनना खतरनाक संकेत है। श्री सिद्दीकी ने जनआंदोलनों से मजबूत रिश्ते बनाने पर बल दिया। जनवादी लेखक संघ के नलिन रंजन सिंह ने साहित्य, संस्कृति पर भगवा हमले का विस्तार से जिक्र करते हुए युवाओं को जोड़ने पर बल दिया। फिल्मकार नकुल साहनी ने कार्पोरेट-साम्प्रदायिक-फासीवाद के गठजोड़ को सबसे ज्यादा मदद मीडिया कर रहा है। आज मुख्य धारा का ही मीडिया ही नहीं वैकल्पिक व सोशल मीडिया को भी यह ताकतें अपने पक्ष में इस्तेमाल कर रही हैं। उन्होंने ग्रास रूट पर वैकल्पिक मीडिया की जरूरत को रेखांकित किया। इसके पहले वरिष्ठ कथाकार शिवमूर्ति ने अपने स्वागत उद्बोधन में सम्मेलन में आए प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों, संस्कृतिकर्मियों का स्वागत करते हुए कहा कि आज का समय ताकत और हिम्मत बटोरने का है। उद्घाटन सत्र का संचालन जन संस्कृति मंच की लखनऊ इकाई के संयोजक कौशल किशोर ने किया। 

उद्घाटन सत्र के बाद छठें लखनऊ फिल्म फेस्टिवल का शुभारम्भ हुआ। इस मौके पर फिल्मकार नकुल साहनी की मुजफफरनगर की साम्प्रदायिक हिंसा पर बनी दस्तावेजी फिल्म ‘मुजफफरनगर ....अभी बाकी है’ दिखाई गई। यह दस्तवेजी फिल्म मुजफफरनगर के साम्प्रदायिक हिंसा का सच सामने लाती है और बताती है कि यह हिंसा संघ-भाजपा की एक सुनियोजित डिजाइन थी जिसका उद्देश्य लोकसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में माहौल बनाना था। फिल्म शुरू होने के पहले स्वतंत्र पत्रकार नेहा दीक्षित ने मुजफफरनगर साम्प्रदायिक हिंसा पर अपनी रिपोर्टिंग व इस फिल्म बनाने के दौरान के अनुभव को साझाा करते हुए कहा कि एक समुदाय पर विजय पाने के उद्देश्य से बड़ी संख्या में महिलाओं, लड़कियों के साथ बलात्कार किया गया। कुछ महिलाओं ने घटना की रिपोर्ट दर्ज कराने की हिम्मत दिखाई लेकिन ऐसी घटनाओं के 62 अभियुक्तों में से आज तक एक भी गिरफतार नहीं किया गया। चार्जशीट समय से दाखिल नहीं की गई और आज भी पीड़ित महिलाओं व गवाहांे को डराने-धमकाने का कार्य बदस्तूर जारी है। फिल्म के प्रदर्शन के बाद हुई चर्चा में फिल्मकार नकुल साहनी और पत्रकार नेहा दीक्षित ने दर्शकों के सवालों का जवाब दिया।

जसम राज्य सम्मेलन के दूसरे दिन यानी 12 अक्टूबर को प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से आए प्रतिनिधियों ने 61 सदस्यीय राज्य परिषद और 19 सदस्यीय नई कार्यकारिणी का चुनाव किया। सम्मेलन में जाने-माने कवि व लेखक कौशल किशोर को नया राज्य अध्यक्ष और युवा आलोचक व संस्कृतिकर्मी प्रेमशंकर सिंह को सचिव चुना गया। इसके पहले सम्मेलन केे प्रतिनिध सत्र में निर्वतमान प्रदेश सचिव मनोज कुमार सिंह द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर चार घंटे तक बहस व चर्चा हुई। प्रतिनिधियों ने संगठन को और चुस्त-दुरूस्त करने तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश व बुंदेलखंड में संगठन का विस्तार करने की जरूरत पर बल दिया। सम्मेलन में हिन्दी-उर्दू रचनकारों का साझा कार्यक्रम आयोजित करने, चित्रकला व नाट्य वर्कशाप आयोजित करने, ग्रामीण क्षेत्र में सांस्कृतिक मंडलियों का गठन करने के साथ-साथ जनता के बीच सांस्कृतिक जागरूकता के लिए आंदोलन शुरू करने का निर्णय लिया गया। सांगठनिक सत्र में अध्यक्ष मंडल की ओर से जसम के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो राजेन्द्र कुमार, प्रो बलराज पांडेय, कवि-आलोचक चन्द्रेश्वर व कवि अशोक चन्द्र ने अपने विचार व्यक्त किए। प्रतिनिधि सत्र में चर्चा में वरिष्ठ कथाकार मदन मोहन, पत्रकार अशोक चौधरी, कथाकार प्रियदर्शन, आलोचक कल्पनाथ यादव, चित्रकार राजकुमार सिंह, राजेश मल्ल, उमेश चन्द्र नागवंशी, बीएन गौड़, शालिनी वाजपेयी, दुर्गा सिंह, अमित परिहार आदि ने भागीदारी की। 

नई प्रदेश कार्यकारिणी में प्रो बलराज पांडेय, चन्द्रेश्वर, भगवान स्वरूप कटियार, अशोक चन्द्र, प्रभा दीक्षित, राजेश मल्ल, केपी सिंह उपाध्यक्ष चुने गए हैं। इसके अलावा अशोक चौधरी, राजेश कुमार, मनोज कुमार सिंह, उद्भव मिश्र, शालिनी वाजपेयी, केके पांडेय, दुर्गा सिंह, कल्पनाथ यादव, राजकुमार सिंह और उमेश चन्द्र नागवंशी कार्यकारिणी सदस्य चुने गए। प्रतिनिधि सत्र के बाद छठे लखनऊ फिल्म फेस्टिवल में नागराज मंजुले की मराठी फीचर फिल्म ‘ फंड्री ’ और दीपा धनराज की दस्तावेजी फिल्म ‘ क्या हुआ इस शहर को ’ दिखाई गई। मराठी के युवा कवि और फिल्मकार नागराज मंजुले की यह पहली फीचर फिल्म  एक ऐसे  दलित किशोर की कहानी है जो गैर बराबरी के समाज में सवर्ण किशोरी से प्रेम करने के सपने बुनता है जबकि वास्तविक हालात उसे न सिर्फ सूअर पकड़ने के लिए मजबूर करते हैं बल्कि सूअर जैसा बनने के लिए धकेलते भी है। ‘फंड्री’ इस  दिवास्वन से बाहर  आकर अपनी पहचान की लड़ाई को स्वर देने का महत्वपूर्ण काम भी करती है जिसके लिए मराठी दलित समाज पिछले कई दशकों से संघर्षरत है।

दीपा धनराज की यह फिल्म ‘क्या हुआ इस शहर को ’ 1984 में हैदराबाद में हुए भयानक हिन्दू-मुस्लिम दंगे की सच्चाई को हमारे सामने लाती है। फिल्म हैदराबाद शहर के मिलजुमले इतिहास का बयान करती है, नेताओं के घृणा फैलाने वाले बयानों को रिकार्ड करती है । ंफिल्म फेस्टिवल की खास प्रस्तुति थी-समन हबीब और संजय मट्टू द्वारा खतों में लखनऊ ( लखनऊ इन लैटर्स )। इस प्रस्तुति में लोगों ने खतों और चित्रों के जरिए शहर लखनऊ की कहानी देखी और सुनी। निजी खतों व चित्रों के साथ ऐतिहासिक खतों और चित्रों को गूँथकर यह प्रस्तुति हमारे सामने एक जीवंत इतिहास खड़ा करती है। प्रस्तुति खतों के सहारे लखनऊ की बहुल और संवेदनशील छवियों को उभारती है। नवाबी तौर-तरीकों के लिए चर्चे में रहे इस शहर को ढेरों निजी आँखों से देखना दर्शकों के सामने कई-कई लखनऊओं को पेश करता है।  

जसम सम्मेलन स्थल को जहां संभावना कला मंच ने कविता पोस्टर से सजाया था, वहीं लखनऊ के लेनिन पुस्तक केन्द्र, इलाहाबाद से प्रकाशित पत्रिका ‘समकालीन जनमत’ तथा गोरखपुर फिल्म सोसायटी के बुक स्टाल लगे थे। सम्मेलन का सभागार लेखक व पत्रकार अनिल सिन्हा के नाम पर था तथा पूरा आयोजन कथाकार मधुकर सिंह, मशहूर अदाकारा जोहरा सहगल तथा बांगला के क्रान्तिकारी कवि नवारूण भट्टाचार्य की याद को समर्पित था।

एफ - 3144, राजाजीपुरम, लखनऊ - 226017,मो - 7499081369

0 comments:

Post a Comment

1st Film Screening & Panel Discussions-2014 in Chittorgarh

Labels

'आरोहण' म्यूजिकल बेंड 'मुलाक़ात-2' 14 April 2017 1st Film Screening & Panel Discussions-2014 in Chittorgarh 2nd Kolkata People's Film Festival 3rd Udaipur Film Festival-2015 4th Udaipur Film Festival-2016 Aarambh Hai Prachand aarohan aarohan Chittorgarh Abhishek Sharma About Us Aditya Dev Vaishnav Amarkant Anand Patwardhan Aniruddha Vaishnav Apeal Article Ashok Bhaumik Ashralesh Dashora Ashutosh Upadhyay Balli Singh Cheema Balraj Sahni Banner Bela Negi Bhagat Singh Bhagat Singh Deewas Bhagwati Lal Salvi Bharti Kumawat Bhawna Maheshwari Bijju Toppo Bol Ari O Dharti Bol Book Stall Central Academy Chittorgarh CFS members visit to 3rd Udaipur Film Festival-2015 Chittorgarh Art Society Chittorgarh Film Society Cimaairas Cinema of Resistance Chittorgarh Circular Critic Daayen Ya Baayen Dalit Deepmala Kumawat Delhi Sammelan Dharti Ke lal Dilip Joshi Documentary Documentary » Filmmaker Anand Patwardhan » Interview » Vedio DR. Kanak Jain Dr.A.L.Jain Dr.BR Ambedkar Jayanti Dr.Khushwant Singh Kang Dr.Renu Vyas Education System Exhibition Father Film Film Review Film Screening Filmmaker Anand Patwardhan Fundry Gadi Lohardag Mail Garam Hawa Get Together Ghanshyam Singh Ranawat Gorakhpur Film Festival Himanshu Pandya Ikram Ajmeri Interview Invitation IPTA Jai Bheem Kamred Jai Bhim Kamred Jan Geet Jan Sanskriti Manch Jayesh Solanki JIgnesh Mewani Jinni George Jitendra Yadav JNU Hirawal JSM Kabeer Kahaani Paath Kairana Surkhiyon Ke Baad Kalu Lal Kulmi Kautilya Bhatt Kawi Pradeep Khemraj Chaudhary Kumar Gandharv Kumar Sudhindra Laxman Vyas Lt. Col.Ajay Dheel M.S.Sathyu Mahendra Nandkishore Manik Manoj Singh Mati Ke Lal Meghnath Moh. Gani Mohammad Umar Monthly Film Screening Monthly Screening Mukesh Sharma Munshi Premchand Nakul Singh Sahni Nandini neha Maheshwari Panel Discussion Peeyush Mishra Photo Photo Repor Photo Report poems Pooja Joshi Poster Prayas Sanstha Press Note Publicity Material Puran Rangaswami Qauid Quaid Rajesh Chaudhary Report Romila Thapar S.L.Solanki Sainik School Saiyam Puri Sanjay Joshi Sanjay Kak Sanwar Jat Sanyam Puri Schedule Shabnam Virmani Shaheed Diwas 23 March 2016 Celebration in Chittorgarh Shaheed Diwas 23 March 2017 Celebration in Chittorgarh Shailendra Pratap Singh Bhati Sheetal Sathe Slide Show Son and Holy Son Song Superman Of Malegaanw Surya Shanekr Dash Udaipur Film Festival Udaipur Film Society Vedio Video Vijay Meerchandani Vinod Malhotra Vision School of Management अपील अम्बिका दत्त आजमगढ़ कहानी पाठ कहानीकार अमरकांत चित्तौड़गढ़ चोला माटी के राम नगीन तनवीर पीपली लाइव पुरस्कार वापसी प्रतिरोध पैनल चर्चा पैनल चर्चा:संवाद जारी रहे फिल्म स्क्रीनिंग मुज्ज़फ़रनगर बाक़ी है लखनऊ फ़िल्म फेस्टिवल साहित्य अकादमी सुभाष गाताडे